Tuesday, January 21, 2014

सर्द हवाएँ________बादल


सर्द हवाएँ मुझे कुछ यू रुला गयी….
कुछ यादे तो...कुछ दर्द बढ़ा गयी….
बिखरे पत्तो सी थी जो ज़ज्बात की बाते,
पुराने खत्तों से...सब याद वो दिला गयी….


बादल