Sunday, January 25, 2015

कुछ मुस्क आज मेरे यार की फिजा मे है...... महसूस-ऐ-रूह तू कंही आस पास है। 

बादल            
         

Tuesday, January 20, 2015

अश्क हूँ मैं मुझसे तू यूँ प्यार ना कर,
देख खुद पे सितम तू यूँ बार-बार ना कर,
गिरती हैं रोज़ बिजलियाँ मुझपर मुफ़लिशि की,

मेरी गुरबत से ज़िंदगी तू यूँ तार-तार ना कर...... 
बादल

Friday, January 16, 2015

ठिठुरती रात की अब ठिठुरन नहीं जाती,
तेरे बेगैर नींद अब रात नहीं आती,
बदलते रहते है करवठ तुझे सोच-सोच कर,
मगर ज़ालिम रात की सहर नहीं आती।


बादल