Monday, December 22, 2014

मेरे अशकों की दास्ता... सब पूछते रहते है, और दर्द मे हम अपने... सुलगते रहते है, छुपा लिया खुदकों उन्होने, कफन के पीछे जबसे, परछाइयों मे भी... हम उन्हे ढूंड्ते रहते है..... बादल