Thursday, September 26, 2013

अश्क______________बादल

अश्क

अशकों को मेरे छू के तो देखो,
मेरे हर दर्द का अहसास हो जाएगा....
छोड़ गये थे जिन अंजान राहो मे,
उन राहो के वीरानो का अहसास हो जाएगा….

मत समझना इन्हे सिर्फ़ पानी की कुछ बूंदे,
इनमे घुले मेरे लहू का अहसास हो जाएगा….
कैसे बीती हर रात सिसकीओ से भरी,
ये जान के तुम्हारा आँचल भी भीग जाएगा….

इन्हे सिर्फ़ अश्क भी समझने की भूल ना करना,
बेवफ़ाई और प्यार क्या है ये अहसास हो जाएगा….
अमृत है ये तो दर्द ,बेवफ़ाई और रुसवाई के मंथन का,
तुमने क्या खोया और क्या पाया ये अहसास हो जाएगा….

अशकों को मेरे छू के तो देखो,
ये जान के तुम्हारा आँचल भी भीग जाएगा….


बादल


Saturday, September 7, 2013

देखा है_____________बादल

तुम्हे राहो से गुज़रते हुए
अक्सर मैने देखा है,
अश्क़ तो सुख गये मगर
उनके निशा को मैने देखा है,

पूछ तो लेता तुझसे
तेरी हँसी से छुपे दर्द को,
मगर अपनी फकीरी से
अपने लबो को सिलते मैने देखा है,

चाँद थे तुम
हमेशा मेरे लिए,
तुम्हे टूटते हुए कब मैने
सपनो मे देखा है,

तुम्हारी गुनगुनाहट
बिखरती रहे हमेशा जॅहा मे,
इस दुआ मे खुदको
हमेशा मैने देखा है,

जो बेफिक्री दिखती थी
तरी हर बात मे,
अब सिल्वटो को तेरे
माथे पे मैने देखा है,

हुस्न वाले तो बेपरवाह
अक्सर होते ही है,
तभी तो प्यार मे
ग़रीब की जिंदगी को जलते मैने देखा है,

उमर की साँसे
जो ढल रही है तुम्हारी,
बीते दिनो को याद करते
मैने तुम्हे देखा है,

छुपा लो तुम खुद को
अब लाख नक़ाबो मे,
मगर तेरे अश्क़ो के निशा को
अक्सर  मैने देखा है,

बादल 




कभी तेरा टूटा है…कभी मेरा टूटा है
जो प्यारा था हमको….हर वो खवाब टूटा है
कभी तुमसे छूटा है…. कभी हमसे छूटा है
जो प्यारा था हमको…..हर वो बंधन छूटा है

बादल