Sunday, September 28, 2014


हसरतों की धूप कुछ यूं अधूरी रह गयी...... 
ए-ज़िंदगी , तुझबिन ज़िंदगी अधूरी रह गयी..... बादल

Thursday, September 25, 2014

हर इंसान मे खुदकों , मैं महसूस करता हूँ... 
इंसान हूँ मैं , या खुदा हो गया हूँ...... बादल



Tuesday, September 23, 2014



कोई क्या समझेगा मेरे लिखे हर्फो के दर्द को..... 
बस कुछ आह और वाह का मुकाम है इनका...... बादल


Saturday, September 20, 2014

मै ज़िंदा हूँ , क्योकि रगों मे एक आस बाकी है.... मेरे अश्क सूख गए , मगर एक प्यास बाकी है..... बादल

Friday, September 19, 2014

बोझिल

मेरे शब्दो मे अगर तू खुदकों महसूस करता है..... 
फिर क्यू मेरी बोझिल पलकों को, तू नज़र अंदाज़ करता है .... 

बादल 

Wednesday, September 17, 2014

गूँजता रहता था जो शबिस्ता तुझसे..... उसके दरो दीवार आज बातों को तरसते है... 



बादल


तन्हा

पुकार लिया तुझे, तेरे शहर के हर कूचे में....... मगर हर बार तेरे बादल की आवाज़ तन्हा लौट आई.....

साया

एक तेरा साया क्या खोया मैंने..... सारा आस्मा मेरा घर हो गया....

एहसास

जिस्म भले ही स्पूर्द-ऐ-खाक हो गया तुम्हारा..... तेरी रूह का एहसास मगर मुझे हो रहा है....

वादा खिलाफी

तुझे पता था ना कि मैं अकेला नहीं जी पाऊँगा ... फिर अकेले ये दुनियाँ छोड़ने कि वादा खिलाफी क्यूँ कि.....