Thursday, May 28, 2015

चहचहाते पंछी
कानों की प्यास बुझाती
उनकी मधुर आवाज़

हवा मे लहराती
उस बूढ़े पेड़ की
हर जवान साखा

पुदीने के खेत
उनकी ठंडी हवा
और मोहक खुशबू
यादे
आज भी मुझे
तुम्हारे गाँव खींच लाती है

अपनी जंगह
सब मौजूद हैं

नहीं है
तो तुम्हारा
छत पर वो सूखता दुपट्टा
खुशियों से सराबोर घर
छनकती पाजेब
खनकती चूड़ीयां
और गुनगुनाते हुए तुम

हाँ तुम


बादल


Tuesday, May 26, 2015

अदब बख्श दे मेरे लहजे को ए मौला.....

मेरे अपने दुआ मेरी पढे जाते है।   


बादल