तुम्हे राहो से गुज़रते हुए…
अक्सर मैने देखा है,
अश्क़ तो सुख गये मगर…
उनके निशा को मैने देखा है,
पूछ तो लेता तुझसे…
तेरी हँसी से छुपे दर्द को,
मगर अपनी फकीरी से…
अपने लबो को सिलते मैने देखा है,
चाँद थे तुम…
हमेशा मेरे लिए,
तुम्हे टूटते हुए कब मैने…
सपनो मे देखा है,
तुम्हारी गुनगुनाहट…
बिखरती रहे हमेशा जॅहा मे,
इस दुआ मे खुदको…
हमेशा मैने देखा है,
जो बेफिक्री दिखती थी…
तरी हर बात मे,
अब सिल्वटो को तेरे…
माथे पे मैने देखा है,
हुस्न वाले तो बेपरवाह…
अक्सर होते ही है,
तभी तो प्यार मे…
ग़रीब की जिंदगी को जलते मैने देखा है,
उमर की साँसे…
जो ढल रही है तुम्हारी,
बीते दिनो को याद करते…
मैने तुम्हे देखा है,
छुपा लो तुम खुद को…
अब लाख नक़ाबो मे,
मगर तेरे अश्क़ो के निशा को…
अक्सर मैने देखा है,
बादल
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