नज़र आता है तू_________बादल
रह रह के क्यूँ हर लम्हा याद आता है तू…..
फलक तो क्या हर ज़र्रे मे नज़र आता है तू….
बेकरारी हो या तड़प ये एतबार नही आता,
बिखरती धूप मे हर रोज़ नज़र आता है तू….
खुदा कंहू या खुदाई समझ नही आता,
हर बात और नज़र मे नज़र आता है तू….
हर नाकाम कोशिश हुई और भुला नही जाता,
जंवा हर मुस्कुराहट मे नज़र आता है तू….
महोब्बत हो या इबादत मगर सकु नही आता,
सजदे के हर फूल मे नज़र आता है तू….
ग़ज़ल कंहु या रुबाई ये फ़ैसला हो नही पाता,
हर धड़कते दिल और जिंदगी मे नज़र आता है तू….
प्यासा तेरा हू ये सहरा ख़तम नही होता,
रात रोशन हर दिए मे नज़र आता है तू….
बादल