Monday, July 28, 2014
Saturday, July 26, 2014
रुसवाई____________ बादल
तेरी
खामोशी रुसवाई मेरी बन गयी,
तुझबिन जीने
की वजह वो बन गयी….
सज़ा
रखे थे, जो लांखों हसीन ख्वाब,
उनकी बेदर्द कातिल, नज़र तेरी बन
गयी….
पहले
जानते तो रखते बात अपनी हद तक,
तेरी ये
बात, मेरी जग हसाई बन
गयी….
इबादत
के रूप मे महका था जो प्यार,
उसकी
डोर टूटने की वजह तुम बन गयी….
नही
मंजूर था, तो एक इशारा ही कर देते,
मायूस
लोटना तेरे घर से, जिंदगी मौत बन
गयी….
सज़ा
लोगे तुम, चाँद तारो सी गैर संग
जिंदगी,
रोशनाई
मगर बादल की पूरी ज़िंदगी बन गयी….
बादल
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