Saturday, March 14, 2009

नादानी_______________बादल

इंतिहा आज प्यार की सब हो गयी,
सच्चे प्यार की इज्जत आज खाक हो गयी,

कतल करने चला था आज खुद को लेकिन,
बेवफाई की सारी हदें आज पार हो गयी,

कर डाला खुद को रक्त रंजित मैंने,
और वो बेवफा मुस्कुराती चली गयी,

आँख भर आई देख उस हसीं लम्हे को,
जब वो मेरी खामोश निगाह को समझ ना पायी,

टूट गया सब गुमा सच्चे इश्क का,
जब बेवजह इल्जाम वो लगाती चली गयी,

साफ़ बचा गयी अपने दामन को अश्को से,
लेकिन हर जज्बात वो कुचलती चली गयी,

बेवफाई को अपनी वो मजबूरी बताती रही,
सर्म से लेकिन सर वो हमारा झुकाती गयी,

नहीं मालूम था इतना कठिन है रास्ता,
जो मासूक, आशिक को लहू से नहला गयी,

तड़पते रहे जिस्म और रूह मेरे लेकिन,
वो गलती नादानी की बता के चली गयी,

वो गलती नादानी की बता के चली गयी..........


बादल

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