Monday, April 6, 2009

कफ़न______________बादल

जीने की चाह रखी हम ने हमेशा,
ना जाने क्यों मौत की दुआ आज मांग रहे है,

साथ माँगा था राही का जीवन मे,
फिर क्यों आज उस से अलग हम हो रहे है,

ओस की बूंदों की तरहें मिले हम से हमेशा,
जो प्यास को हमेशा भड़काते रहे है,

नहीं मिल पाया सकूँ रूह को कभी,
जब से वो हमारे दिल के करीब रहे है,

सोचते थे वक़्त बदल जायेगा एक दिन,
बरसात लकिन कांटो की वो करते रहे है,

मंजूर थी हर राह , राही के कदमो के साथ,
क्यों आज वो फिर राह हम से बदल रहे है,

दिया उन्हें प्यार का साया हम ने हमेशा,
फिर क्यों आज वो हमारा कफ़न खरीद रहे है,

फिर क्यों आज वो हमारा कफ़न खरीद रहे है!


बादल

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