कुछ पल ही सही मेरा
इंतज़ार तो कर ले ,
दूर तलक ना सही...कुछ कदम तो साथ चल
ले...
टूटा पत्ता हूँ साख का तुम्हारी ही तरह ,
खुद पे ना सही मेरा एतबार तो कर ले ...
भीग ले साथ मेरे
मदमस्त सावन मे ,
फिर छोड़ अश्क़ों को खुशी को गुलजार कर
ले...
देख लेना फिर लौट आएँगी बहारे प्यासी
धरती पे ,
तू बादल को आजमाने का इरादा तो कर ले...
कब तक रखोगे इस जमी
को यू बंजर ,
एक नन्हा पोधा तू इस पे अंकुरित कर ले...
हटा के बबूल के कांटे अपने आंचल से ,
तू झोली अपनी खुशीओ के चिरागो से भर
ले...
भुला के जमी और आश्मा
की दूरी को ,
बस यकी अपने होसले का एक बार कर ले...
बना के एक नया इतिहास तू साथ मिलके ,
फलक और जमी को रोशन तू
कर ले...
खुद पे ना सही मेरा एतबार तो कर ले ...
बस यकी अपने होसले का एक बार कर ले...
बादल