Tuesday, July 23, 2013

एतबार________बादल


कुछ पल ही सही मेरा इंतज़ार तो कर ले ,
दूर तलक ना सही...कुछ कदम तो साथ चल ले...
टूटा पत्ता हूँ साख का तुम्हारी ही तरह ,
खुद पे ना सही मेरा एतबार तो कर ले ...

भीग ले साथ मेरे मदमस्त सावन मे ,
फिर छोड़ अश्क़ों को खुशी को गुलजार कर ले...
देख लेना फिर लौट आएँगी बहारे प्यासी धरती पे ,
तू बादल को आजमाने का इरादा तो कर ले...

कब तक रखोगे इस जमी को यू बंजर ,
एक नन्हा पोधा तू इस पे अंकुरित कर ले...
हटा के बबूल के कांटे अपने आंचल से ,
तू झोली अपनी खुशीओ के चिरागो से भर ले...

भुला के जमी और आश्मा की दूरी को ,
बस यकी अपने होसले का एक बार कर ले...
बना के एक नया इतिहास तू साथ मिलके ,
फलक और जमी को रोशन तू कर ले...

खुद पे ना सही मेरा एतबार तो कर ले ...
बस यकी अपने होसले का एक बार कर ले...


बादल

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