चंद अल्फ़ाज़ कह के मै चला जाऊंगा
कुछ अश्क तेरी आंखो मे छोड़ जाऊंगा
सुर्ख आंखो से बहुत उठ चुका
तेरे जख्म तुझे ही सौगात मे दे जाऊंगा...
छिपाया था जिस से बेवफ़ाई को तुमने
उस खूबसूरत हंसी पे मायूसी छोड़ जाऊंगा
सौगात तो तुम्हें क्या देगा ये बदनसीब बादल
तोहफे मे बस आईना तुझे दे जाऊंगा...
अभी तो घुल रही है झूठ की मीठी बाते
उम्र के मोड पे कभी तो सच सामने आएगा
हुस्न...फरेब...दौलत जब नहीं होंगे साथ तेरे
उस रोज़ मै अपनी पूरी कहानी तुझे सुना जाऊंगा...
चंद अल्फ़ाज़ कह के मै चला जाऊंगा
तेरे जख्म तुझे ही सौगात मे दे जाऊंगा...
बादल
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