Monday, June 17, 2013

आखरी मुलाकात________________बादल



चलो आज एक आखरी मुलाकात कर लेते हैं
फिर जिंदगी के इस किस्से को तमाम कर देते हैं
वो खुशी वो आंसू वो तड़प वो बेबसी वो मायूसी
सिर्फ एक बार तुम संग फिर से याद कर लेते हैं
नही मंजूर ये रिश्ता समाज के ठेकेदारों को
अनकही बातों को चलो हम आज कह देते है
यूं तो महसूस करता हूं मै तुम्हारी खामोशी भी
चलो मिलकर आज खामोशी को गुनगुना लते हैं
फैसला हो ही चुका है जब हमारी किस्मत का
सिर्फ एक बार किस्मत पे हम संगसंग रो लेते हैं
फिर कुछ पल ही सही लौटा सकूं मुस्कुराहटें तुम्हारी
चलो फिर कुर्बान हम अपनी हस्ती कर देते है,.........बादल



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